जैन तीर्थस्थल परिचय
🚌 संख्या 9⃣
श्रेयांस गिरी, अतिशय जैन तीर्थ, नचना, पन्ना, म.प्र.
🍂 आज से कई वर्ष पूर्व सुप्रसिद्ध जैन मुनि विमल सागर जी महाराज अपने प्रवास के क्रम में अचानक नचना पहुंचे। मध्यप्रदेश के पन्ना जिला स्थित इस क्षेत्र में पहुंचने के लिए जैसे उन्हें ईश्वरीय प्रेरणा हुई हो।
वहां उन्हें शीरा पहाड़ की कंदराओं में कई जैन तीर्थंकरों की पाषाण प्रतिमाएं मिलीं। पुरातत्व विभाग और जैन समाज केविद्वानों ने उन्हें गुप्ताकाल के समकालीन बताया। एक तपोभूमि के रूप में चिन्हित होने केबाद इस स्थल का महत्व बढ़ गया। श्रद्धालुओं का आवागमन भी होने लगा। पन्ना जिले में देवेन्द्रनगर और सलेहा कस्बों केमध्य सलेहा और नागौद केबीच मुख्य सड़क से गंज से लगभग तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित नचना कभी 'जसो स्टेटÓ के अधीन था। तब यहां शेरों आदि जंगली जानवरों का वसेरा था।
🍂 विमल सागर जी को यहां पांच गुफाएं मिलीं। *गुफा क्रमांक दो में भगवान महावीर स्वामी और मगरमच्छ गुफा (मगरमच्छ केआकार की गुफा) में भगवान आदिनाथ जी की खड्गाषन मूर्ति थी।* इसी प्रकार गुफा क्रमांक एक और तीन में भी बेशकीमती जैन प्रतिमाएं थीं तो कुछ मूर्तियां गुफाओं केबाहर पहाड़ी में चट्टानों पर उकेरी गई थीं। नचना की जैन तीर्थ के रूप में प्रसिद्धी विमल सागर जी केशिष्य विराग सागर जी के यहां पहुंचने पर उत्तरोत्तर बढ़ी।
स्थानीय जैन धर्मावलंबियों का मत है कि उन्हें यहां आने की प्रेरणा अपने गुरु से प्राप्त हुई। विराग सागर जी ने इसे अतिशय क्षेत्र माना और तपोभूमि के रूप में इसका महत्व स्वीकार करते हुए सोये हुए तप को जगा दिया। इसके बाद कई वर्षों तक उन्होंने यहां चातुर्मास व्यतीत किए। इस दौरान प्रचार सामग्री भी वितरित करवाई जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया कि नचना में जैन प्रतिमाएं गुप्त काल की हैं।
🍂 उन्होंने ही शीरा पहाड़ का नामकरण श्रेयांस गिरी किया जो कि २४ जैन तीर्थंकरों में से एक हैं। इस दौरान मौजूद गुफाओं का जीर्णोंद्धार भी कराया गया। कोल आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में कुछ वर्षों पहले गुफा क्रमांक चार में स्थित लगभग एक क्विंटल वजनी भगवान आदिनाथ जी की मूर्ति चोरी हो गई थी। आक्रोशित जैन समाज ने तब बड़ा आंदोलन किया था।
🍂प्रशासन केवार्ताकारों के सुरक्षा आश्वासन के बाद विवाद थमा था। अभी भी पहाड़ खुदाई आदि को लेकर कुछ समस्याएं हैं। बावजूद इसके यह इस स्थल का ही प्रताप है कि जैन समाज इसके महत्व के अनुकूल क्षेत्र का विकास करने में लगा हुआ है। और चातुर्मास के दौरान जुटने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ वर्ष भर बनाए रखने को लगातार प्रयासरत है। इसी कारण इस निर्जन क्षेत्र में निर्माण कार्य कराए जाते रहे हैं।
संकलनकर्ता
सुलभ जैन (बाह)
क्या यहां श्री 1008 आदिनाथ जी की प्रतिमा पर तीन नेत्र हैं
ReplyDeleteनही,, ऐसा कभी जानने में नही आया
ReplyDeleteye satya h,3 netra wali aadinath bhagwan ki 1 pratima thi jo ki 1980s m chori karli gayi
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ReplyDeleteMast
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